सामाजिक समरसता
2025-06-30
सामाजिक समरसता का तात्पर्य है – समाज में रहने वाले सभी वर्गों, जातियों, धर्मों, भाषाओं और सांस्कृतिक समूहों के बीच आपसी मेल-जोल, समानता और सौहार्द्र की भावना का विकास। यह ऐसा विचार है जो भेदभाव, ऊँच-नीच, जातिवाद, धार्मिक कट्टरता और किसी भी प्रकार के सामाजिक विभाजन से ऊपर उठकर एकता की स्थापना करता है। हमारे देश भारत की विशेषता इसकी विविधता में एकता है, लेकिन इसी विविधता को यदि समरसता से न जोड़ा जाए, तो समाज में विषमता, असमानता और तनाव उत्पन्न होता है। सामाजिक समरसता ही वह नींव है, जो एक सशक्त, शांतिपूर्ण और विकसित समाज की संरचना में सहायक होती है। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जीवनभर सामाजिक समानता के लिए संघर्ष किया। उनका सपना था एक ऐसा भारत जहाँ कोई भी व्यक्ति जाति, धर्म, लिंग या वर्ग के आधार पर भेदभाव का शिकार न हो। आज भी उनकी विचारधारा हमें सामाजिक समरसता की राह पर चलने के लिए प्रेरित करती है। हमारी संस्था का उद्देश्य भी इसी भावना को आगे बढ़ाना है। हम सामाजिक समरसता के लिए निम्नलिखित कार्य कर रहे हैं: ग्रामीण क्षेत्रों में जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ जनजागरूकता अभियान। सभी वर्गों के बच्चों को एक साथ पढ़ाने हेतु निशुल्क शिक्षा केंद्र। अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय संवाद कार्यक्रमों का आयोजन। संविधान, समान अधिकार और मानवाधिकार पर आधारित कार्यशालाएँ। त्योहारों और राष्ट्रीय पर्वों पर एकता के कार्यक्रम आयोजित करना। हम मानते हैं कि जब हर नागरिक को बराबरी का दर्जा, सम्मान और अवसर मिलेगा, तभी एक सशक्त और विकसित भारत का निर्माण संभव होगा। सामाजिक समरसता केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, जिसे शिक्षा, जागरूकता और आपसी सहयोग से मजबूती दी जा सकती है। आइए, हम सब मिलकर एक ऐसे समाज की रचना करें जहाँ कोई छोटा-बड़ा न हो, सब एक-दूसरे का सम्मान करें और हर व्यक्ति गर्व से कह सके – "मैं भारतवासी हूँ।"
प्रस्तावना
डॉ. भीमराव अंबेडकर साक्षरता सेवा संस्थान एक पंजीकृत सामाजिक संस्था है, जो उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक न्याय और जागरूकता के क्षेत्रों में...
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